(1) जयफल (2) पुहकरमूल (3) काकड़ा (4) अंगी (5) अजवायन (6) कलौंजी (7) सौंठ (8) काली मिर्च (9) पीपल। इन सबका कवाय अदरक रस व शहद के साथ मिला कर सुबह उठ कर और रात को सोते समय चाटने से कफ बुखार उतर जाता है। मिचादि कवाय
(1) मिर्च (2) पीपलमूल (3) सोंठ (4) कलौंजी (5) पीपल (6) चीता (7) जायफल (8) कूट (9) वच (10) हरड़ कटेरी की जड़ (11) अजवायन(12) काकड़ा (13) श्रंगी (14) नीम की छाल। इन सबका कवाय अणी पर आए बुखार से जड़ से उखाड़ फैंकने की शक्ति रखता है। वात कफ बुखार के लक्षण शरीर पसीने से भीगे कपड़े के समान भारी संधियों में दर्द नींद का अधिक आना, सिरदर्द, जुकाम, खाँसी। वृहदमुस्तादिकवाय
(1) मोथा (2) अडूसा (3) सोंठ (4) गिलोय (5) नेत्रवाल (6) पित्त पापड़ा (7) संभालू इनका कवाय कफ बुखार के लिए काफी प्रभावशाली होता है। वृहद पिपल्यादि कवाय
(1) पीपल मूल और पीपल (2) चव्य (3) चीता (4) सोंठ वच अतीस (5) जीरा (6) पाढऱ (7) इंद्रजौ (8) रेणुका (9) चिरापता (10) सरसों (11) कालीमिर्च (12) जायफल (13) जायफल (14) कुहकर मूल (15) मारंगी (16) वाय विडिंग (17) अजमोद (18) काकड़ा (19) आंक की जड़ (19) रायसन (20) घमासा (21) अजवायन (22) अजमोद (23) श्योनाक (24) हींग इन सब औषधियों को पिपल्यादिगण कहते हैं। इसका कवाय कर पीने से वात कफ बुखार ठीक हो जाता है।
विदोष बुखार लक्षण सर्दी लगने, हल्दी संधि, जोड़ सिरदर्द, आँखों से पानी गिरना, कृत गद लें, कानों में सायें – सायें, खांसी हो, बकसाद, श्वास अरुचि हो शरीर पर लाल छाले पड़े।
सन्निपात बुखार लक्षण जिस बुखार में शरीर कृष हो जाये, खांसी में खून आए बोला न जाएं नेत्र टेढ़े हो जाए, गला पक जाए, शरीर ठंडा पद जाए। ऐसे बुखार में कान की जड़ के नीचे काफी सूजन आ जाती है।
उपचार क्या है? (1)सेंधा नमक (2)सेजना के बीचे सरसों। इन सबको कूट करके बकरे के पेशाब में पीस कर उसकी नस्वार देने से रोग दूर हो जाता है। सफल अंजन शुद्ध छिलका रहित जमालगोटा की मींग 1 ग्राम सोंठ, 1 ग्ग्राम काली मिर्च 1 ग्राम पीपल, 1 ग्राम पारा। इन सब औषधियों को कूट कर बारीक़ पीस लें फिर कपडे से छानकर पारा मिलाकर नींबू के रस के 7 पुट दें फिर उसे सुखाकर एक बड़ी शीशी में डालकर ढकना अच्छी तरह बंद करें। इस मंजन को लगाने मात्र से टिन्नपात बुखार की मूर्छा तथा सांप काट की मूर्छा दूर हो जाती है।
चैतन्य सूची मरण रस शुद्ध तेलिया मीठा 1 ग्राम, शुद्धपारा 1 ग्राम इन दोनों को बारीक़ पीस कर कांच की शीशी में भरकर मुखमुद्रा करें फिर सरवे में रख सम्पुट कर ऊपर से कपरोटी कर सुखालें। सुख जाने पर चूल्हे पर चढ़ाएं, दो प्रहर की आग दें, जब ठंडा हो जाए तो सम्पुट खोल शीशी में पारे को सावधानी से निकाल कर दूसरी शीशी में रखें, परन्तु इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि पारे को हवा न लगने पाए। बस यह हवा मूर्छित हुए लोगों को होश में लाने के लिए बहुत उपयोग है।
पंचतत्र रस (1)शुद्ध पारा (2)शुद्ध गंधक (3)शुद्ध विष (4)सुहागा, काली मिर्च सबको बराबर लेकर एक दिन धतूरे के रस में घुटाई कर छोटी – छोटी गोली बनाकर सुखा लें। 1. 1 से 2 गोली तक दिन में दो बार, शहद व अदरक के रस में दें।