उत्तर प्रदेश में फिर एक बार अनूठा इतिहास देखने को मिला है आज 11 मार्च को उत्तर प्रदेश राज्य सभा के इलेक्शन में भारतीय जनता पार्टी को 300 से ऊपर सीटे मिली हैं। जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी जित है। उत्तर प्रदेश के मौजूद मुख्यमन्त्री श्री अखिलेश यादव इस इलेक्शन को बहुत बुरी तरह हार चुके हैं। मुख्यमन्त्री श्री अखिलेश यादव के हारने का एक मुख्य कारण उनका अपने ऊपर कम विस्वास और दूसरों के ऊपर ज्यादा विस्वास करना भी है। ये बात सच है की उत्तर प्रदेश भारत की राजनीती कि दिशा और दशा को तय करता है और 2017 के इस राज्य सभा के इलेक्शन ने 2019 के अगले प्रधानमंत्री की भी दिशा तय कर दी है। लेकिन मौजूदा प्रधानमन्त्री अगर उत्तर प्रदेश के लोगों कि उमीदों पर अगले दो सालों तक खरे उतरते है तो ये तय है की अगले 2019 में होने वाले प्रधानमंत्री भी श्री नरेंद्र मोदी ही होंगे। बीसपी BSP उत्तर प्रदेश में घास के तिनके की तरह हवा में उड़ चुकी है बीसपी शायद दूसरी बार इलेक्शन लड़ने के विचार नहीं करेगी। वही दूसरी और उत्तर प्रदेश के नोजवान लोगों ने बीजेपी को भारी वोटिंग की है क्योंकी अखलेश के लुभावने बादो से उत्तर प्रदेश के लोग तंग आ चुके थे।
बड़ा लड़डू खा गई बीजेपी और बच्चा हुआ छोड़ दिया काँग्रेस को।
ये कहना गलत नहीं होगा की बड़ा लड़डू खा गई बीजेपी और बच्चा हुआ छोड़ दिया काँग्रेस को। काँग्रेस को इस बात के लिए खुश नहीं होना चाहिए कि पंजाब राज्य में काँग्रेस की जित हो गई क्योंकि कैप्टन अमरिन्दर सिंह अगर काँग्रेस के उमीदबार नहीं होते तो यहाँ भी काँग्रेस को भारी हार का सामना करना पड़ता। और यह सच है की पंजाब में अगर काँग्रेस जीती है तो इसकी बजह राहुल गाँधी नहीं है। इस बात को झुटलाना सही नहीं होगा कि काँग्रेस के पास कोई मजबूत नेता नहीं है। पंजाब और हिमाचल की पुरानी रीत है कि पंजाब में एक बार अकाली दल तो दूसरी बार काँग्रेस सरकार आती है। हिमाचल प्रदेश में भी ठीक ऐसे ही होता है। बीजेपी के राष्ट्रिय अध्यक्ष श्री अमित शाह इलेक्शन से पहले ही ये तय कर चुके थे की हमारा टार्गेट केवल उत्तर प्रदेश है और इसमें कोई सन्देह नहीं कि प्रधानमंत्री और श्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के इलेक्शन को जितने के लिए दिन रात एक कर दिए। और दोनों की मेहनत रंग लाई। साथ ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का भगवान के प्रति बहुत कड़ा विस्वास है जिससे लोगों में भगवान के प्रति और श्रद्धा उत्पन करता है और हिन्दू धर्म को और भी प्रोत्साहन मिलता है।
उत्तराखंड में भी बीजेपी पार्टी को भारी बहुमत मिला है।
देव भूमि उत्तराखंड में भी मोदी लहर चली और ये कहना गलत नहीं होगा की बीजेपी ने सबसे ज्यादा इलेक्शन जितने की मेहनत उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में ही कि थी। अब एक बात तय है की काँग्रेस हर बार इलेक्शन में मुँह की खा रही है। गिने चुने ही राज्यो में कांग्रेस बची है। और जिन राज्यो में काँग्रेस पार्टी है उन राज्यो की विकास गति भी ठीक पहले की तरह ही चलेगी। “एक कहावत है अगर घर के सारे लोग मुखिया के साथ चलते हैं तो घर से महल बन जाता है और अगर घर के लोग मुखिया के साथ ना हों तो घर कंगाल हो जाता है।” भारत देश का अच्छा समय चला है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जैसा नेतृत्व करने वाला नेता मिला है। और यह भारत देश का दुर्भाग्य है की सारा देश मौजूद प्रधानमंत्री के साथ नहीं खड़ा है। और पुरे भारत का विकाशील होना अभी भी मुश्किल है।
आप पार्टी के अरविन्द केजरीवाल को सिमित होकर काम करने की जरुरत।
शायद आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल को Delhi की ओर ही अपना फोक्स करना चाहिए। नहीं तो ये वो बात हो गई कि आगे आगे दौड़ और पीछे पीछे चौड़। और आप पार्टी कुछ ऐसा ही कर रही है। अरविन्द केजरीवाल जी को पहले कम से कम अगले 10 साल तक Delhi को पहले लन्दन की तरह बनाना होगा। और इसका उदाहरण है पहले मोदी जी ने गुजरात को बनाया फिर प्रधानमंत्री के काविल बने। अरविन्द केजरीवाल की तरह नहीं बिना कुछ किये चले लोगों के दरवाजे पर।
नरेंद्र मोदी को टकर देने वाला नेता भारत में अभी कोई नहीं।
ये बात 100% नहीं 101% सही है की मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को टक्कर देने वाला नेता अभी कोई नहीं है। और इस बात को भारत के बड़े बड़े एनालिस्ट कह चुके हैं। मोदी के पास विस्वास है, रणनीति है, भारत को एक विकाशील देश बनाने की क्षमता है, भारत का विस्व में नेतृत्व करने की बड़ी क्षमता है। एक राजनीती की कला से मोदी जी लवा लवा भरे पड़े हैं। और मोदी जी की राजनितिक सूझ बुझ अतुलनीय है जिसका जीता जागता सबूत है उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की जित का भारी बहुमत इसे कहते हैं हद से ज्यादा बिस्तर पर पाँव ना पसारना। और शायद मोदी जी, अमित शाह ने सभी राज्यो के इलेक्शन को फोक्स ना करने के बजाये दो राज्यो पर फोक्स किया है। और यही से एक प्रसन मन में उठता है की “नरेंद्र मोदी को टकर देने वाला नेता भारत में अभी कोई नहीं”।
काँग्रेस मुक्त की ओर अग्रसर भारत।